ज्ञानमार्ग में चलते चलते रुक जाने का कारण, निवारण और विकल्प
नमस्ते, जिस व्यक्ति को ज्ञान नहीं हुआ केवल सुन लिया है वही इस मार्ग में चलते चलते रुक जाएगा क्योंकि बुद्धि में विकार है या कोई मनोविकार आगए हैं तो वह व्यक्ति जो भी ज्ञान दिया है वह भूलाकर सामान्य हो जाता है, वापस तुच्छ हो जाता है, वापस बेड़ियों में पड़ जाता है और फिर से प्रकृति ने जो विकासक्रम उसके लिए निर्धारित किया है उसके अनुसार चलता है। अभी उसको बहुत कुछ झेलना है, अभी उसको बहुत कुछ भोगना है और उसके बाद वह वापस आएगा ज्ञानमार्ग पर क्योंकि ज्ञान बीज़ पड़ा है तो चिंता की बात नहीं लेकिन यह बहुत कम होता है। बहुत से लोग ज्ञानमार्ग पर चलकर भी उनमें परिवर्तन नहीं आते और यह सब आवश्यक ही नहीं है ज्ञान होना आवश्यक है लेकिन यह परिवर्तन नहीं हुआ है तो वापस अंधकार में जा सकते हैं। ऐसा व्यक्ति स्वयं को शरीर मान के सारा जीवन व्यतीत कर सकता हैं कोई बुराई नहीं है, अज्ञान में जी सकता हैं जैसे बाकी लोग जी रहे हैं बिना जाने 'मैं कौन हूं?', बिना इस मार्ग का लाभ लिए गुरु को त्याग सकते हैं, शास्त्रों को फेंक सकते हैं इसमें कोई बुराई नहीं है। बहुत से लोग अज्ञान में जी रहे हैं और सुखी भी दिखते हैं तो ...