ज्ञान में ध्यान
नमस्ते, ध्यान बड़ा प्राकृतिक है, चित्त की प्राकृतिक गतिविधियों का परिणाम ध्यान है, जहा सक्रियता होती है वह अनुभव छनकर हमें मिलता है और उसीको ध्यान कहते है। ध्यान का सबसे अच्छा उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में है जैसे ज्ञान मार्ग पर ज्ञान प्राप्त करने की, ज्ञान में रहने की श्रवण, मनन, निदिध्यासन यह विधि है और इसमें : श्रवण के लिए ध्यान चाहिए, सभी वृत्तियोंपर पर नियंत्रण चाहिए। मनन के लिए भी एक ही विषय पर लंबे समय तक ध्यान देना बहुत आवश्यक है। निदिध्यासन में भी आपका ध्यान ज्ञान पर होना, साक्षी भाव में होना, मैं कौन हूँ यह याद रखना, स्मरण रखना आवश्यक है। यदि शरीर में कही पीड़ा है, कही चोट लगी है तो आप पाएंगे की आप का सारा ध्यान वही पर है क्योंकि शरीर की परत सक्रीय हो गई है और सबसे आवश्यक कार्य अब वही है उसीसे संबंधित कर्म हो रहे है तो जहा सक्रियता है वहा ध्यान है, ध्यान स्वतः सक्रीय परत पर जाता है। ध्यान कोई विशेष क्रिया नहीं है , ध्यान एक खिड़की की तरह है, जहा पर भी सक्रीय परत होती है वह खिड़की वहा पर सरक जाती है और बाकी अनुभव थोड़ेसे क्षीण हो जाते है। जहा बलशाली वृत्...