ज्ञान में ध्यान

नमस्ते,

ध्यान बड़ा प्राकृतिक है, चित्त की प्राकृतिक गतिविधियों का परिणाम ध्यान है, जहा सक्रियता होती है वह अनुभव छनकर हमें मिलता है और उसीको ध्यान कहते है।

ध्यान का सबसे अच्छा उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में है जैसे ज्ञान मार्ग पर ज्ञान प्राप्त करने की, ज्ञान में रहने की श्रवण, मनन, निदिध्यासन यह विधि है और इसमें :

श्रवण के लिए ध्यान चाहिए, सभी वृत्तियोंपर पर नियंत्रण चाहिए।

मनन के लिए भी एक ही विषय पर लंबे समय तक ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

निदिध्यासन में भी आपका ध्यान ज्ञान पर होना, साक्षी भाव में होना, मैं कौन हूँ यह याद रखना, स्मरण रखना आवश्यक है।

यदि शरीर में कही पीड़ा है, कही चोट लगी है तो आप पाएंगे की आप का सारा ध्यान वही पर है क्योंकि शरीर की परत सक्रीय हो गई है और सबसे आवश्यक कार्य अब वही है उसीसे संबंधित कर्म हो रहे है तो जहा सक्रियता है वहा ध्यान है, ध्यान स्वतः सक्रीय परत पर जाता है।

ध्यान कोई विशेष क्रिया नहीं है, ध्यान एक खिड़की की तरह है, जहा पर भी सक्रीय परत होती है वह खिड़की वहा पर सरक जाती है और बाकी अनुभव थोड़ेसे क्षीण हो जाते है।

जहा बलशाली वृत्ति होती है वहा ध्यान होता है, कोई केह नहीं सकता की में अपना ध्यान वहा ले गया। यदि संस्कार सही पड़े हो तो एक प्रेरक प्रक्रिया ध्यान को जहा पर वृत्ति बलशाली और सक्रीय है वहा पर अपने आप ले जाती है इस परत से उस परत ध्यान को कोई नहीं ले जा सकता। व्यक्ति मिथ्या है, वह कुछ नहीं करता, सब अपने आप होता है जो बहुत आवश्यक है वह वृत्ति होकर रहती है, वह परत सक्रीय होकर रहती है, वो कर्म होकर रहता है। अनावश्यक, अर्थहीन या शक्तिहीन वृत्तियाँ नियंत्रित की जा सकती जिसका अर्थ है की उनको कर्म में ना बदल ने देना, उनके संस्कार ना पड़ने देना।

ध्यान वहा पर जाता है जहा पर सक्रियता होती है और चित्त की यह योग्यता या यह ध्यानवृत्ति साधक के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। 

ध्यान और साक्षी भाव लाने से वृत्ति नियंत्रित हो जाती है।

यदि वृत्तियाँ चल रही है और वृत्तियों पर ध्यान नहीं है तो वह कर्म में बदल जाती है।

ध्यान है भी लेकिन ज्ञान नहीं है अर्थात साक्षी भाव नहीं है जो की ज्ञान से ही आता है तो उसे कम या अधिक करना या उसपर होने वाले कर्मों को रोकना संभव नहीं है।

जिसकी जितनी साधना होगी उसका उतना अच्छा ध्यान होगा और उतना अच्छा नियंत्रण होगा और साक्षी भाव इसकी कुंजी है।



धन्यवाद🙏

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