कृपा ही केवलम

 संतो की एक सभा चल रही थी...

किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर वहा रखवा दिया ताकि संत जन जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सके..

सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसी तरह के विचार आने लगे..

वह सोचने लगा - अहा ! यह घड़ा कितना भाग्यशाली है?

एक तो इसमें किसी तालाब या कुए का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह अब संतो के काम आएगा ! इस घड़े को संतो का स्पर्श मिलेगा, उनकी सेवा का अवसर मिलेगा, ऐसी किस्मत किसी किसी की ही होती है....

घड़े ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और घड़ा बोल पड़ा - बंधू मैं तो मिटटी के रूप में पड़ा सिर्फ मिटटी का ढेर था..... किसी काम का नहीं था.. कभी ऐसा नहीं लगता था की भगवान ने हमारे साथ न्याय किया है...

फिर एक दन एक कुम्हार आया, उसने फावड़ा मारकर हमको खोदा और मुझे बोरी में भर कर गधे पर लाध कर अपने घर ले गया..

वहा ले जाकर हमको उसने रौंदा, फिर पानी डालकर गुंथा, चाकपर चढ़ाकर तेजी से घुमाया, फिर गला काटा, फिर थापी मार मार कर बराबर किया, बात यही नहीं रुकी उसके बाद आवे के आग में झोक दिया जलने को...

इतने कष्ट सेहन कर बहार निकला तो गधे पर लाधकर उसने मुझे बाजार में भेजने के लिए लाया गया, वहा भी लोग मुझे ठोक-ठोककर देख रहे थे की ठीक है की नहीं?

ठोकने पीटने के बाद मेरी कीमत लगाई भी तो क्या बस २० से ३० रुपये..

मैं तो पल पल यही सोचता रहा की हे ईश्वर सारे अन्याय मेरे ही साथ करना था..

रोज एक नया कष्ट रोज एक नयी पीड़ा देते हो.. मेरे साथ बस अन्याय ही अन्याय होना लिखा है...

लेकिन ईश्वर की योजना कुछ और ही थी..

किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमे गंगाजल संतो की सभा में भेज दिया......

तब मुझे आभास हुआ की कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी कृपा थी..

उसका मुझे गूंथना भी कृपा थी..

मुझे आग में जलाना भी कृपा थी और 

बाजार में लोगो के द्वारा ठोके जाना भी कृपा थी..

अब मालुम पड़ा की मुझ पर सब कृपा ही कृपा थी😊

दरअसल बुरी परिस्थितिया  हमें इतनी विचलित कर देती है की हम खुदको कोसने लगते है क्यों हम सबमे शक्ति नहीं होती इस लीला को समझने की..

कई बार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है की हम खुद को कोसते रहते है की मेरे ही साथ ऐसे क्यों हुआ? 

क्या मैं इतना बुरा हु की जो सारे दुःख और तकलीफे मुझे ही दी😭...

🙏लेकिन सच तो ये है की उन तमाम पत्थरों की भीड़ में तराशने के लिए एक आप को चुना।

अब तराशने में तो थोड़ी तो तकलीफ झेलनी ही पड़ती है। 


धन्यवाद 🙏

 


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