सुकून
टेंशन भी ऐसी कि ना भूख लगे ना मन लगे।
बस चमत्कार की उम्मीद में।
एक समय आता है जब मन नहीं लगता, डिप्रेशन जैसी भावना आ जाती है। और जिस बात की टेंशन होती है, वो बात कहीं ना कहीं मन स्वीकार कर ही चुका होता है।
लेकिन कहते है ना कि हर चीज़ की एक हद होती है, इसी तरह शायद टेंशन की भी यही हद होती है।
जब ऐसी परिस्थिति हो, तब ख़ुश कैसे रहे?
ख़ुश रहना तो दूर, ख़ुश रहने की सोचें भी कैसे?
ख़ूब समझाया मन को, कि क्या फ़ायदा हो रहा है इतनी परेशानी लेने का? उल्टा, अपनी ही मानसिक व शारिरिक स्थिति ख़राब हो रही है।
फ़िर यूट्यूब देखने बैठे, कोई लाभ नहीं।
हँसी-मज़ाक की फ़िल्म देखी, कोई लाभ नहीं।
और भी बहुत सारी चीजें, जिनसे ख़ुशी मिल सकती थी, लेकिन कोई लाभ नहीं।
फ़िर फ़ोन किताबें और टीवी का रिमोट एक तरफ़ रखा और खाली बैठें।
मतलब, एकदम खाली।
और दिमाग से बोला,
"अक्षता तू सोच, तुझे क्या सोचना है और कितना सोचना है। सोच, कि ये हुआ तो वो होगा और वो हुआ तो ये होगा। कोई तुझे नहीं रोकने वाला।"
दिमाग़ ने सोचना शुरू किया। सोचते-सोचते ख़ुद ही बोर हो गया और सोलुशन देने लगा।
अंत मे हुआ ये कि सारी परेशानी स्वीकार करके, आगे के नए रास्ते बनाकर, थककर सो गयी।
जब सोकर उठे, तो सिर्फ़ सकारात्मकता थी।
गुरुक्षेत्र से प्रार्थना की, आने वाली हर मुमकिन संभावना के लिए और मन चमत्कारिक तरीक़े से शांत हो गया।
ऐसा नहीं है कि जिस बात की टेंशन थी वो समस्या हल हो गई। लेकिन उसे सहन करने की क्षमता आ गई।
डर कम हो गया। ख़ुद पर और गुरुक्षेत्र पर विश्वास लौट आया।
जो कदम हम उठा सकते थे और टेंशन में आकर उस तरफ़ सोच भी नहीं पा रहे थे, अब वही कदम उठा पा रहे है। और मदद कर रहे है।
ख़ुशी का नहीं पता, लेकिन शांती है। सुकून है कि जितना हम कर सकते है, कर रहे है।
धन्यवाद
आपके अनुभव मेरे अनुभव से बहुत मिलते जुलते है, कभी कभी घर से बाहर खुली हवा मे २-३ घंटे बिताने से सकारात्मकता आती है, निसर्ग के सनिध्या मे जितणा चल सकते हो उताना सुकून मिल सकता है, शरीर मन जुडे है .. एक थकता है तू दूसरा थक जाता है ..
जवाब देंहटाएंजी 🙏🏻
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जवाब देंहटाएं🙏🏻🌹
हटाएंऐसी स्थिति जीवन में सबके साथ आती है गुरुक्षेत्र का धन्यवाद कि हमें संभालता है 🙏🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएं🙏🏻🌹
हटाएंकभी शरीर कष्ट में, कभी मन विचलित, कभी बुद्धि काम नहीं करती, ये सब भी वृत्ति है, थोड़ा बहुत उपाय करके गुरु क्षेत्र से प्रार्थना यही बचता है, फिर ये विश्वास की वृत्ति है बदल जायेगी, इससे आराम आता है, सकून होता है,, साक्षी में आ जाने से
जवाब देंहटाएंजी रमाकांत जी सही कहा आपने
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