स्वीकारभाव
जहा आप पहुंच जाते हो, मन वहा से हट जाता है, मन आगे दौड़ने लगता है, कही और जाता है, मन सदा आपसे आगे दौड़ता रहता है, आप जहा हो वहा कभी नहीं होता ।
यदि आप लोकप्रिय नहीं हैं, तो आप प्रसिद्धि चाहते हैं।
यदि आप लोकप्रिय हैं, तो आप गोपनीयता चाहते हैं।
यदि आप गरीब हैं तो आपको पैसा चाहिए।
यदि आप अमीर हैं तो आपको एहसास होता है कि अभी भी आपके जीवन में खुशियों की कमी है। आप बस एक सादा जीवन जीना चाहते हैं।
यदि आप बुद्धिमान हैं तो जीवन तनावपूर्ण हो जाता है क्योंकि आप किसी भी चीज को नजरअंदाज नहीं कर पाते हैं।
यदि आप अनाड़ी हैं, तो आप अपने अज्ञानी व्यवहार के कारण गलतियाँ करते हैं।
यदि आप अकेले हैं, तो आप एक रिश्ता चाहते हैं।
यदि आप रिश्ते में हैं, तो आप कुछ जगह और स्वतंत्रता चाहते हैं।
यदि आप एक शक्तिशाली व्यक्ति नहीं हैं, तो आप महसूस करते हैं कि लोग आप पर हावी हैं।
यदि आप एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं, तो आपको एहसास होता है कि आपको सभी जिम्मेदारियों को संभालना है। और यह पहचानना मुश्किल है कि कौन वास्तव में आपसे प्यार करता है और कौन नाटक कर रहा है।
जीवन कभी परिपूर्ण नहीं होता। हर समाधान एक नई समस्या लेकर आता है। अंधकार के कारण ही प्रकाश का अस्तित्व है और यही जीवन का कटु सत्य है। स्वीकारभाव ही एकमात्र समाधान है।
धन्यवाद
बहुत सुन्दर व्याख्या की है अक्षता जी आपने ।धन्यवाद 🙏🌹
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