गुरु का महत्त्व
अध्यात्म और साधना के क्षेत्र में गुरु का महत्त्व इसलिए नहीं है कि वह मंत्र बताते है अथवा शुद्ध उच्चारण बताते है या देवी देवता का चुनाव कराते है या शक्तिपात करते है या पूजा पद्धति बताते है। गुरु अपनी अर्जित शक्ति शक्तिपात आदि से अथवा अपना अर्जित ज्ञान तो देते ही है पर गुरु का महत्त्व इसलिए होता है की वह सफलता को निश्चित करने के सूत्र देते है। वह अपने सारे अनुभव और तकनिकी से अवगत कराते है जिससे सफलता शीघ्र और निश्चित रूप से मिलती है।
गुरु को उनके गुरु से, उन्हें उनके गुरु से, उन्हें उनके गुरु से, इस क्रम में हजारों सालों के अनुभव, सफलता, असफलता के कारण, उनकी खोजें, वह तकनीक जिससे इन क्रमों में सफलता निश्चित और शीघ्र मिली, यह सब प्राप्त हुआ होता है इन सब तकनीकियों और ज्ञान के लिए गुरु का महत्त्व सर्वाधिक होता है। मंत्र और पद्धतियाँ तो किताबों में भी मिल जाती हैं। किन्तु तकनीक और अनुभव नहीं होते गुरु द्वारा प्राप्त मंत्र भी जाग्रत और स्वयं सिद्ध होते है यही कारण है की किताबों से सफलता नहीं मिलती अगर थोड़ी बहुत मिल भी जाए तो कुछ थोडा सा पाने और खुद को श्रेष्ठ समझने में ही जीवन आयु समाप्त हो जाती है और व्यक्ति अंत में सोचता है काश समय रहते किसी को गुरु बना लिया होता अथवा गुरु खोज लिया होता या कोई योग्य गुरु मिल गया होता तो अधिक सफल हो जाता।
धन्यवाद 🙏🏻
❤️ सो मच lovely
जवाब देंहटाएंसुंदर👌🙏🏻
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
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